आज हम आपको सार्वजनिक जगहों पर महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के बारे में बताने वाले है, जिसको जानना हमें बेहद ही जरुरी है क्यूंकि आज तक हमें इन सभी अधिकारों के बारे में पता नहीं था और जिसकी वजह से कई सारे बच्चे और महिलाओं को हम लापरवाही की नज़रों से देखते है, तो चलिए जानते है की महिलाओं और बच्चों के मौलिक अधिकार क्या है.

कुछ लोग कई ऐसी जगहों पर गये होते है जहा पर पानी नहीं मिल पाता, ऐसे में इंडियन सराइस एक्टर 1867 के तहत भारत का कोई भी नागरिक किसी भी समय किसी भी होटल में अपने या अपने पालूत जानवर के लिए पानी का प्रयोग कर सकता है साथ ही किसी भी होटल में महिला या पुरुष वॉशरूम भी प्रयोग कर सकता है और इसके लिए उन्हें किसी भी प्रकार का चार्ज नही देना होगा.

कभी कभी ऐसा हो जाता है की कोई अविवाहित जोड़ा किसी जगह पर घुमने गया हो और अंत में रात बहुत हो गयी हो ऐसे में वो जल्दी से अपने घर पर नहीं जा सकते और कीसी होटल में रुकने का सहारा लेते है, ऐसे में कई होटलें ऐसी भी है जहा पर अविवाहित जोड़ें को नहीं रुकने दिया जाता. ऐसे में हम आपको बतादें की होटल एसोशिएशन ऑफ इंडिया जो पूरे भारत में 280 से अधिक होटल संचालित करती है उन्होंने घोषणा की है की भारतीय कानून में ऐसा कोई भी नियम नही हैं जिसमें किसी अविवाहित जोड़ों को होटल में प्रवेश करने से रोका जाए.

जब कोई महिला मजदूरी या नौकरी करने के लिए जाती है तो वहा पर महिलाओं को भेदभाव की नज़रों से देखा जाता है और वेतन की बात करें तो पुरुषों के मुकाबलें महिलाओं को कम वेतन दिया जाता है, इसीलिए हमारे देश में भी ऐसा कानून बना हुआ है की लिं*ग के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जा सकता.

जब कोई भी महिला यौ*न उत्पीड़न शिकार बनती है तो उस महिला का नाम न छापने देने का अधिकार महिलाओं को दिया हुआ क्यूंकी कई बार ऐसा होता है की ऐसे केस में महिलाओं के नाम भी दे दिए जाते है जिसके कारण महिलाओं को भारी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है.
कई बार कोई अपराध हो जाता है तो ऐसे में किसी महिला का नाम भी उसमे आ जाता है और पुलिस उनको गिरफ्तार करने के लिए आती है. बात तो तब ज्यादा बढ़ जाती है जब रात के समय में महिला को गिरफ्तार करने के लिए आती है तब यह अधिकार महिला के लिए जरुरी बन जाता है की सूरज डूबने के बाद और सूरज उगने से पहले किसी भी महिला को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता.
आपको बतादें की कई लोग ऐसे भी है जो आज भी बाल मजदूरी करवा रहे है ऐसे में 14 वर्ष से कम आयु वाले किसी भी बच्चे को कारखानों, खानों या अन्य किसी जोखिम भरे काम पर नियुक्त नहीं किया जा सकता.
तो यह थे वो मौलिक अधिकार जो महिलाओं और बच्चों के लिए बनाये गये है.
रोजाना ऐसी ही अटपटी ख़बरों के लिए हमें फ़ॉलो जरुर करें.
No comments:
Post a Comment
• अगर आप इस आर्टिकल के बारे में कुछ कहेंगे या कोई सवाल कमेंट में करेंगे तो हमें बहुत ख़ुशी होगी
• गलत शब्दों का प्रयोग न करे वरना आपका कमेंट पब्लिश नहीं किया जायेगा