प्रॉडक्ट और ऐड ऑन की कीमत तय करते वक्त रिस्क एक्सपोजर, क्लेम/लॉस एक्सपीरियंस वगैरह को ध्यान में रखना होगा
इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI जनरल इंश्योरेंस पॉलिसीहोल्डर्स के फायदे का ख्याल करते हुए बड़ा कदम उठा रहा है। बीमा कंपनियां किस हिसाब से इंश्योरेंस पॉलिसी यानी प्रॉडक्ट बना सकती हैं और उनके लिए कितना प्रीमियम ले सकती हैं, उसने यह सब बताने वाले नियमों का खाका तैयार किया है।
IRDAI के मुताबिक रेगुलेशंस में बीमा कंपनियों के लिए बुनियादी ढांचा और मूल सिद्धांत होंगे। इनके हिसाब से इंश्योरेंस प्रॉडक्ट बनाए जाएंंगे और उनकी कीमत तय की जाएगी। IRDAI (जनरल इंश्योरेंस प्रॉडक्ट्स) रेगुलेशंस 2021 बीमा पॉलिसी के अलावा ऐड ऑन पॉलिसी पर भी लागू होंगे। रेगुलेशंस का मकसद जनरल बीमा बाजार के कारोबारी तौर-तरीकों को बेहतर बनाना है।
रेगुलेटर ने रेगुलेशंस के मसौदे को लेकर बीमा कारोबार से जुड़े लोगों और संस्थाओं से 26 अप्रैल तक कमेंट मांगे हैं। जनरल इंश्योरेंस प्रॉडक्ट्स की मंजूरी के लिए नियम 2000 से ही बने हुए हैं जिनमें समय-समय पर बदलाव होता रहता है।
जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि रेगुलेशंस का मकसद जनरल इंश्योरेंस पॉलिसी की बनावट और उनके मूल्य निर्धारण के नियम देना है। उसके जरिए यह भी पक्का किया जाएगा कि पॉलिसी होल्डर्स को किसी तरह का नुकसान नहीं हो। जनरल इंश्योरेंस बाजार के कारोबारी तौर-तरीकों में सुधार आए, यह तय करना भी इसका मकसद है।
रेगुलेशंस के हिसाब से जनरल इंश्योरेंस प्रॉडक्ट रिटेल और कमर्शियल प्रॉडक्ट में बांटे जाएंगे। बंटवारा इस आधार किया गया है कि बीमा पॉलिसी कौन खरीद रहा है या उसका सम अश्योर्ड कितना है। इसके अलावा रिटेल और कमर्शियल पॉलिसी के नाम में फर्क भी होगा ताकि वे आसानी से पहचान में आ सकें। उनके लिए IRDAI से अलग यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर (UIN) लेने की जरूरत हो सकती है।
रेगुलेशंस के प्रपोजल में कहा गया है कि बीमा कंपनियों को इंश्योरेंस प्रॉडक्ट बनाते समय ध्यान में रखना होगा कि वे पॉलिसी होल्डर्स की बदलती जरूरतों और उनकी जेब के हिसाब से हों। बीमा कंपनियों को प्रॉडक्ट की कीमत वाजिब आंकड़ों के हिसाब से तय करना होगा और उसको सही ठहराने के लिए वाजिब दलील देनी होगी।
रेगुलेशंस के मसौदा प्रस्ताव के मुताबिक, ‘बीमा कंपनियों को प्रॉडक्ट और ऐड ऑन की कीमत तय करते वक्त रिस्क एक्सपोजर, क्लेम/लॉस एक्सपीरियंस, रीइंश्योरेंस खर्च वगैरह को ध्यान में रखना होगा।’ उसमें इनवेस्टमेंट रिटर्न को भी देखना होगा और प्रीमियम रेट बहुत ज्यादा नहीं हो, इसका भी ध्यान रखना होगा।
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