भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिन की बैठक के नतीजों की घोषणा आज होगी. MPC की तीन दिन की बैठक 5 अप्रैल को शुरू हुई थी. विशेषज्ञों का मानना है कि रिजर्व बैंक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं कर सकता है. बता दें कि आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 5 फरवरी को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया था और रेपो रेट 4% पर बरकरार रखा था.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि रिजर्व बैंक मौद्रिक कार्रवाई की घोषणा के लिए उपयुक्त अवसर का इंतजार करेगा. इससे वह खुदरा मुद्रास्फीति को 4 फीसदी (2 फीसदी ऊपर या नीचे) के दायरे में रखने और साथ ही बढ़ोतरी को प्रोत्साहन के सर्वश्रेष्ठ नतीजे सुनिश्चित कर सकेगा. इस समय रेपो दर 4 फीसदी और रिवर्स रेपो दर 3.35 फीसदी है.
सुधार की रफ्तार अभी सुस्त
इकोनॉमिक रिकवरी अभी अनईवन है और सुधार की रफ्तार अभी सुस्त है. इसके अलावा कोविड-19 के मामले बढ़ने से भी चुनौतियां बढ़ी हैं. एडलवाइस ने कहा कि कुल मिलाकर हमारा अनुमान है कि नीतिगत दरों में बदलाव नहीं किया जाएगा. हालांकि, केंद्रीय बैंक अपना नरम रुख जारी रखेगा.
रिजर्व बैंक के समक्ष इस समय बड़ी चुनौती है. देश में कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं. इससे अर्थव्यवस्था के रिकवरी पर ‘ब्रेक’ लग सकता है. इसके अलावा मुद्रास्फीति की दर भी ऊपर जा रही है. अग्रवाल ने कहा कि केंद्रीय बैंक नीतिगत समीक्षा में रेपो रेट में बदलाव नहीं करेगा.
उन्होंने कहा कि इस समय होम लोन रेट अपने ऐतिहासिक निचले स्तर पर हैं. कई वाणिज्यिक बैंकों ने हाल में ब्याज दरें घटाई हैं. ब्याज दरों में और कटौती से उद्योग और कुल अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी.
खुदरा मुद्रास्फीति दायरे में रखने का लक्ष्य
वैश्विक स्तर पर बांड में रिटर्न बढ़ने के बावजूद एमपीसीअपनी आगामी बैठक में नरम रुख को जारी रखेगी. सरकार ने पिछले महीने रिजर्व बैंक को 5 साल के लिए और यानी मार्च, 2026 तक खुदरा मुद्रास्फीति को 4 फीसदी (2 फीसदी ऊपर या नीचे) के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया है.
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